My Friend mom and me

हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम सागर शर्मा है, पंजाब में लुधियाना का रहने वाला हूँ, 20 साल का लम्बा, स्मार्ट, रंग साफ़ और दिखने में सुंदर लड़का हूँ। मैंने अन्तर्वासना में कई कहानियाँ पढ़ी तो मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी आप लोगों को बताना चाहिए।
मैं बचपन से बहुत ही शर्मीले किस्म का लड़का था जो लड़कियों को देख कर घबरा जाया करता और उनसे ज्यादा बात नहीं करता था।
यह कहानी कुछ समय पहले की है जब मैं अपने डिप्लोमे के पहले साल के इम्तिहान से फ्री ही हुआ था। मुझे सेक्स की कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी, बस मूवी में ही देखा था लेकिन उस दिनों मेरे साथ ऐसा हुआ जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।
यह कहानी मेरे दोस्त की मम्मी और मेरी है, मेरे दोस्त के डैड की मोबाइल की दुकान है और इसलिए आंटी भी दुकान पर ही आ जाती हैं। उनके परिवार में मेरा दोस्त मनी, उसकी बहन सिमरन, उसकी मम्मी शीतल और डैड हैं। उस समय आंटी शीतल की उम्र करीब 35-36 साल की थी, पर आंटी 26 से ज्यादा की नहीं लगती थी। उनकी लम्बाई 5'5" होगी वो देखने में बहुत सुन्दर लगती थी। आंटी बहुत ही गोरी थी। उनका फिगर भी आकर्षक था, 36-26-34 का होगा। उनको देखने के बाद किसी की भी नियत ख़राब हो सकती थी। उनके मम्मे बहुत ही प्यारे लगते थे। जैसे कि मैंने बताया, मैं पंजाब का रहने वाला हूँ, यह पर ज्यादातर औरतें सूट ही पहना करती हैं।
अब मैं सीधा कहानी पर आता हूँ, उस दिन मैं और मनी कालेज से वापिस घर जा रहे थे, मेरे पास बाईक थी मैं उसको उनकी दुकान पर छोड़ने गया। दुकान पर हम कुछ बातें करने लगे, तभी आंटी मेरे पास आई तो आंटी ने बड़े गले का कुर्ता पहना हुआ था जिसमें से उनके मम्मे उसकी कमीज फाड़ कर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे।
मैं आंटी को देखता ही रह गया, मेरी निगाहें उनकी मम्मों पर टिक गई और देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। जब भी मैं उनके मम्मे देखता तो मेरा मन उन्हें चोदने को करता था।
वो मुझ से बोली- मैंने खाना घर से लेकर आना है, क्या तुम मेरे साथ घर चलोगे खाना लाने के लिए?
तो मैंने हाँ बोल दिया और आंटी मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई। मैंने बाईक स्टार्ट की, आंटी मेरे पीछे बैठ गई, हम शॉप से निकल गए, रास्ते मैं जब मैं बाईक चला रहा था तो आंटी के मम्मे मेरे पीठ से लग रहे थे, उनके मम्मे बहुत ही नर्म थे, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरे लंड खड़ा हो गया।
हम जा ही रहे थे, तभी मेरा फोन बजा। मैंने फोन उठाया, वो फोन मेरी फ्रेंड नेहा का था।
तभी आंटी ने पूछा- किस का फोन था?
मैंने बोला- फ्रेंड का !
आंटी बोली- फ्रेंड का या गर्लफ्रेंड का?
मैंने बोला- नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है।आंटी बोली- फिर बताओ कि कैसी बात है?
आंटी ने बोला- कुछ किया भी है या नहीं?
मैंने कहा- मैं आपका मतलब नहीं समझा आंटी !
वो बोली- इतने भी नादान मत बनो, अब तुम बच्चे तो नहीं हो, तुम बड़े हो गए हो, अगर अकेले रहोगे तो तुम्हारा मन भटकने लगेगा। तो मैंने कहा- ओके आंटी, बना लूँगा कोई गर्लफ़्रेन्ड !
कुछ देर बाद हम घर पहुँचे, आंटी ने दरवाजा खोला और मुझे बोला- तब तक तुम टीवी देखो, मुझे बस थोड़ा समय ही लगेगा।
मैं टीवी देखने लगा।
आंटी बोली- कुछ लोगे क्या?
मैंने मन में बोला- आपको लूँगा !
फिर आंटी मेरे लिए कोल्डड्रिन्क और कुछ खाने को ले आई। आंटी रसोई में काम कर रही थी, मैं गिलास और प्लेट रखने गया तो आंटी के चूतड़ देख कर मेरा लंड फिर से आसमान की ओर इशारा करने लगा, मेरी पैंट का तम्बू बन गया।
आंटी ने वो तम्बू देख लिया था।
मैंने आंटी को बोला- मैं आप की कुछ मदद करूँ?
आंटी ने कहा- दही फ्रिज से निकाल कर मुझे दे दो।
जब मैं दही आंटी को देने गया तो दही आंटी के कमीज पर गिर गई, आंटी के सारे कपड़े खराब हो गए। मैंने आंटी को सॉरी बोला।
आंटी ने कहा- कोई बात नहीं !
और मैं आंटी के कपड़ों के ऊपर से दही को साफ़ करने लगा और सॉरी सॉरी बोल रहा था।
आंटी बोली- मैंने कहा न, कोई बात नहीं !
आंटी बाथरूम में चली गई, मैं वापिस टीवी देखने लग गया।
आंटी नहाने लग गई थी। आंटी ने मुझे आवाज लगाई, मैं बोला- जी कहिये आंटी, क्या हुआ?
आंटी बोली- मैं अपनी पेंटी और ब्रा और बाकी के कपडे अंदर कमरे में ही भूल गई हूँ, क्या तुम मुझे वो कपड़े दे सकते हो? प्लीज़ दे दो न !
मैं उनके कमरे में गया, कपरे उठाए और उनको देने क लिए गया और बाथरूम के दरवाजे के पास जाकर उन्हें बोला- मैं कपड़े ले आया हूँ।उन्होंने कहा- रुको दो मिनट !
जैसे ही आंटी दरवाजा खोलने लगी तो आंटी का पैर फिसल गिया और आंटी गिर गई और बेहोश हो गई। मैंने आंटी को आवाज लगा कर पूछा, आंटी क्या हुआ? आप ठीक तो हैं?
पर आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैं डर गया और दरवाजा खोल कर अन्दर घुस गया, अंदर देखा तो आंटी जमीन पर गिरी हुई थी, मैंने उन्हें उठाकर बेड पर लिटा दिया।
आंटी बिल्कुल नंगी थी, मैं उन्हें देख कर हैरान रह गया, आंटी तो मेरी उम्मीद से भी ज्यादा सुंदर थी, क्या मस्त मम्मे थे उनके !
मेरा मन मचलने लगा और लण्ड उफान मारने लगा। मेरा मन हो रहा था कि सीधा उनको चोद दूँ। मेरे मन खराब होने लगा मैं उनके स्तनों को धीरे-धीरे से ही दबाने लगा। मैं धीरे धीरे उनके मम्मे सहला रहा था, मैं दीवाना सा हो गया और मदहोश हो गया। मेरे लण्ड से स्राव होने लगा। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने एक को मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाया। मैंने उनके उन्नत स्तनों को दबाना शुरू कर दिया। जैसे जैसे मैंने स्तनों को दबाना शुरु किया वैसे वैसे वो कड़े होते जा रहे थे, मैंने उन पर मुंह लगा दिया। फिर उनके चुचूक को हाथ से दबा कर चूसने लगा। उनके भूरे चुचूक एकदम गुलाबी हो गए थे। वो एक इंच के पूरे खड़े थे।
इतना सब करने के बाद मैं अब बर्दाश्त के काबिल नहीं रहा और फिर उनकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसके पेट पर चूमा, और उनकी जांघों पर चूमा, चूमता चूमता मैं उनकी चूत पर आ गया। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम साफ थी, लगता था कि आज ही सफाई की हो !
मैं अब अपने एक हाथ को आंटी की चूत पर फेरने लगा और उनकी सफाचट चूत में मैंने जैसे ही अपनी दो उंगलियाँ थूक लगा कर डाली तो वो कसमसाने लगी।
मुझे पता चल गया कि आंटी जाग गई हैं और वो बेहोशी का नाटक कर रही हैं।फिर मेरे हौंसला और बढ़ गया और मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गिया कि आंटी भी मुझसे चुदवाना चाहती है। मेरा तो मन हो रहा था कि अभी लंड उसकी चूत में पेल दूँ लेकिन क्या करता, मज़बूरी थी। मैं चाहता था कि आंटी खुद बोले कि मुझे चोदो।
क्या मस्त चूत थी !
मैं अपनी उंगली आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर मैं मुझे उसकी चूत कुछ गीली-गीली लगी और करीब दस मिनट के बाद वो झड़ गई तो मैंने अपनी उंगली निकाल ली और चाट कर देखा तो चूत का पानी कुछ नमकीन सा लगा।
फिर मैं जाने का नाटक करने लगा तो आंटी से रहा नहीं गया, अचानक वो बोली- बहन के लौड़े ! क्या तुझे उंगली से चोदने के लिए बुलाया है?
मैं बोला- यह गलत है आंटी ! मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
मैं तो यह जानबूझ कर बोल रहा था, मैं उन्हें तड़पाना चाहता था कि वो खुद बोलें लंड डालने के लिए।
आंटी बोली- साले, जब उंगली कर रहा था तब नहीं सोचा था कि यह गलत है? पहले मुझे गरम किया, उंगली की, पानी निकाला और अब बीच में छोड़ कर जा रहे है, तू ऐसा नहीं कर सकता।
मैं बोला- मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता आंटी?
आंटी ने मुझे खींच कर एक चांटा लगाया और मुझे बेड पर धक्का लगा कर गिरा दिया और लेटा दिया। उन्होंने मेरी पैंट उतार दी और मेरा अंडरवीयर भी निकाल दिया। अब लंड उनके हाथ मैं आ गया वो एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगी और मेरे होंठों को चूमने लगी।
मैं तो पहले से ही गर्म था और इसके बाद तो जैसे पूरी आग मुझ में और आंटी में ही आ गई। आंटी ने लंड हाथ में लिया तो ऐसे लगा जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया और मुँह से आह निकल पड़ी। आंटी उसे चूत में डालने की कोशिश करने लगी। अब मैंने भी नाटक छोड़ दिया और उनके चिकने बदन को मसलने लगा, जोर जोर से उनके चुच्चे दबाने लगा, होंठों से होंठों पर चुम्बन अब भी चालू था, हम दोनों ने अब अपनी आँखें बंद कर दी थी और एक दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे।
अब तो सिर्फ अपनी आग शांत करने की देरी थी। उनके चुचूकों को जैसे ही मैंने अपने मुँह में लिया, वो जोर जोर से आहें भरने लगी और अपने दोनों हाथों से मुझे अपनी छाती पर दबाने लगी।
आंटी मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी। मैंने देर न करते हुए अपने होंठ सीधे आंटी की चूत पर टिका दिए और आंटी ने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए।
जैसे जैसे मैं उनकी चूत को चाट रहा था, वैसे वैसे उनके मुँह से आहें निकाल रही थी और जैसे ही मैं उनके दाने को दांतों से हल्का काटता या चूसता वैसे वैसे वो मेरे बाल अपने हाथ से नोच रही थी।
थोड़ी देर चूत चूसने के बाद अब मैं ऊपर आ गया और फिर से चुम्बन करने लगा। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !
नीचे से मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर उसे चूत के बाहरी इलाके में घुमाने लगा और आंटी मुझे निचोड़ रही थी मुझे कुछ नया सा एहसास होने लगा, ऐसा एअसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ था, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और फिर आंटी बार बार कह रही थी- अन्दर डाल !
अचानक उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गई और मुझे अपने सीने से कस कर लगा लिया और इसी के साथ उनका वीर्य फ़ूट पड़ा जिसे मैंने अपने लंड पर महसूस किया। मेरा लंड तो अभी भी बाहर था, और उस पर इतना पानी गिर रहा था... आंटी की चूत से इतना पानी निकला कि मेरा लंड पूरा गीला हो गया और आंटी जोर जोर से साँसें लेने लगी।
फिर आंटी ने मुझे बेड पर लिटा कर मेरे लौड़े को पकड़ लिया और मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे एक छोटा बच्चा लॉलीपोप को चूसता है। क्या मजा आ रहा था, मैं बता नहीं सकता। उन्होंने मेरा लंड करीब 15 मिनट तक चूसा मेरा पानी उनके मुँह में ही निकल गया, वो सारा का सारा पी गई।
फिर हम ऐसे ही लेट गए। करीब 10 मिनट बाद आंटी ने फिर से मेरा लंड पकड़ लिया और कहने लगी- अब तो इसे डाल दे ना प्लीज ! मुझसे रहा नहीं जा रहा, तुम्हारे अंकल ने तो 5 साल से मुझे हाथ भी नहीं लगाया ! वो दुकान के बाद सीधा आकर सो जाते हैं और मैं ऐसी तड़पती ही रह जाती हूँ, आज मुझे ठण्डी कर दे, मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूँ।
मैं बोला- आंटी, चिंता मत करो, आज के बाद आप कभी भी अकेली नहीं रहोगी, मैं हूँ ना, आप मुझे कभी भी बुला सकती हो, मैं आप की प्यास बुझा दूँगा।
यह सुनते ही आंटी ने मुझे चूम लिया। उसके बाद मैं उनकी टांगों के बीच आ गया और मैंने अपना लंड लेकर चूत की मोरी पर रखा, गीला होने के बावजूद अंदर जाने में दिक्कत हो रही थी, शीतल आंटी की फ़ुद्दी बहुत ही कसी थी इसलिए मैंने एक जोर का झटका दिया और लण्ड का टोपा ही अंदर गया तो उन्हें हल्का सा दर्द हुआ, मैंने और ज़ोर लगाया तो कुछ अंदर गया, उन्हें दर्द हो रहा था। मैंने एक जोरदार झटका दिया तो लण्ड पूरा का पूरा चूत में जा चुका था। उन्हें दर्द हो रहा था, वो दर्द से तड़प रही थी। मैंने फिर लण्ड निकाल कर पूरा का पूरा डाल दिया तो इस बार आराम से चला गया। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। अब शीतल को भी मज़ा आने लगा, वह भी गाण्ड उठा उठा कर साथ देने लगी, बोली- मेरे प्यारे, आज तक मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था। आंटी के मुँह से दर्द भरी आहें निकलने लगी ! मैंने अपने लंड के धक्के और बढ़ा दिए साथ ही कमरा आंटी की सिसकारियों की आवाज़ से भर गया।
आंटी मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी। आंटी दो बार झड़ चुकी थी पर मेरा अभी तक नहीं हुआ था। आधे घंटे की मेहनत और इस घमासान के बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने आंटी को कहा- मेरा निकलने वाला है।
तो आंटी ने कहा मेरे मुँह में गिराना !
मैंने लंड आंटी के मुँह में डाल दिया और उनके मुँह में अपनी मलाई डाल दी। अब मैं निढाल होकर उनकी आँखों में देखने लगा। उनकी आँखों में एक सकून था और मुस्करा रही थी। उन्होंने बड़े प्यार से मुझे चूम लिया।
फिर हमने घडी की तरफ देखा तो 2 घण्टे हो गए थे। अब हम दोनों उठे तो देखा कि चादर पूरी गीली हुई पड़ी है। तो आंटी ने नई चादर बिछा दी।
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